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Rahul Gandhi:राहुल गांधी के बयान पर भड़के देश भर के कुलपति,कांग्रेस ने भी दी प्रतिक्रिया

Rahul Gandhi:देश में लोकसभा चुनाव का लेकर घमासान का माहौल है सभी और से राजनीतिक बयानबाजी संगठनों का माहौल है, और राजनीति बयानबाजी तेज है इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर हाहाकार मच गया!

जिसमें देश के विश्वविद्यालय मुझे कुलपतियों की नियुक्ति कि चयन प्रक्रिया पर प्रश्न उठाय थें

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश के विश्वविद्यालयों में नियुक्ति को लेकर आरोप लगाया था कि आरएसएस के लोगों को ही भरा जा रहा है। खासतौर पर कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राहुल गांधी ने कहा था कि इसके लिए योग्यता नहीं बल्कि आरएसएस से जुड़ाव के आधार पर फैसला हो रहा है।

कुलपतियों ने पत्र के माध्यम से राहुल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

इस बीच, संयुक्त बयान पर 180 कुलपतियों और शिक्षाविदों के हस्ताक्षर हैं। हस्ताक्षरकर्ताओं में संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, एनसीईआरटी, नेशनल बुक ट्रस्ट, एआईसीटीई और यूजीसी आदि के प्रमुख भी शामिल हैं।

विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणी से नाराज करीब 200 प्रमुख कुलपतियों और अकादमिक हस्तियों ने ‘ओपन लेटर’ लिखकर कांग्रेस नेता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

इन लोगों ने किया हस्ताक्षर

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सीएसजेएम विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति विनय पाठक, पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति भगवती प्रकाश शर्मा, महात्मा गांधी ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय, चित्रकूट के पूर्व कुलपति एन सी गौतम, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति आलोक चक्करवाल और बीआर आंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत के पूर्व कुलपति विनय कपूर भी शामिल हैं।

कुलपतियों की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है, ‘हमें राहुल गांधी के ट्वीट्स और बयानों से यह पता चला है कि वह अफवाह फैला रहे हैं कि देश के विश्वविद्यालयों में मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि आरएसएस से रिश्तों पर भर्ती हो रही है।’

इस पत्र में राहुल गांधी पर राजनीतिक लाभ लेने के मकसद से झूठ का सहारा लेकर बड़े पैमाने पर कुलपतियों के कार्यालय को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कानून के अनुसार तुरंत उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।

 

कुलपतियों ने राहुल गांधी के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए लिखा, ‘कुलपतियों की एक बेहद सख्त, पारदर्शी प्रक्रिया के तहत नियुक्ति की जाती है। इसके लिए यह देखा जाता है कि संबंधित व्यक्ति की अकादमिक योग्यता क्या है। प्रशासनिक कुशलता कितनी और यूनिवर्सिटी को आगे बढ़ाने के लिए क्या विजन रखता है। हम लोगों का एक पेशेवर अनुभव होता है और अकादमिक योग्यता भी मायने रखती है। चयन प्रक्रिया में इसका ध्यान रखा जाता है।’ पत्र में कहा गया कि हम उन सभी लोगों से कहते हैं कि ऐसी काल्पनिक बातें न करें। बिना किसी तथ्य के ही भ्रम न फैलाएं।

कुलपतियों का पत्र कांग्रेस नेता की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि इन पदों पर चयन प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण थी।

विश्वविद्यालयों को आगे ले जाने का दृष्टिकोण रहा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष टी जी सीताराम समेत विभिन्न क्षेत्रों के शिक्षाविदों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि कुलपति चयन की प्रक्रिया पूरी तरह अकादमिक और प्रशासनिक कौशल पर आधारित रही है और इसमें विश्वविद्यालयों को आगे ले जाने का दृष्टिकोण रहा है।

 

प्रमुख कुलपतियों और अकादमिक हस्तियों ने अपने ‘ओपन लेटर’ में राहुल गांधी के दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा है कि वे स्पष्ट रूप से ऐसे दावों को खारिज करते हैं। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का चयन योग्यता, विद्वतापूर्ण विशिष्टता और कठोर पारदर्शी प्रक्रिया से होता है। इनका चयन पूरी तरह से शैक्षणिक योग्यता, प्रशासनिक कौशल और विश्वविद्यालयों को आगे ले जाने के दृष्टिकोण पर आधारित होता है।

भारत में विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जो वैश्विक रैंकिंग, प्रमुख मान्यता, विश्व स्तरीय अनुसंधान और नवाचारों में वृद्धि, उद्योग शैक्षणिक अंतर को कम करने वाले पाठ्यक्रम में बदलाव और शैक्षणिक गुणवत्ता और सामाजिक प्रासंगिकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए उच्च प्लेसमेंट संभावनाओं से स्पष्ट है।

 

शिक्षाविदों ने कहा कि ऐसी अफवाहों को फैलाने से शिक्षा का माहौल खराब होता है। कुलपतियों ने लिखा, ‘हम मेरिटोक्रेसी में यकीन रखते हैं। उच्च शिक्षा के लिए यही जरूरी है।’ बीते कुछ सालों में भारतीय यूनिवर्सिटीज की रैंकिंग में सुधार का हवाला देते हुए कुलपतियों ने लिखा कि बीते कुछ सालों में अद्भुत बदलाव आया है। अब हमारी यूनिवर्सिटीज की ग्लोबल रैंकिंग अच्छी हुई है। शिक्षाविदों का कहना है कि राहुल गांधी ने इस तरह का बयान देकर उच्च शिक्षण संस्थानों को बदनाम किया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि उसका राजनीतिक फायदा उठा सकें।

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